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इतिहास के गुमनाम आंदोलनकारी The Unsung Kashmiri Hindu Revolutionaries of history डॉ० शिबन कृष्ण रैणा ![]() ![]() | |
भारतीय स्वतंत्रता-आंदोलन में जिन देशप्रेमियों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दीं,उन में से अधिकांश को इतिहासकारों ने इतिहास में स्थान तो दिया और उनके योगदान को रेखांकित भी किया।पर कुछ आजादी के दीवाने ऐसे भी हैं जिनको इतिहास में जगह नहीं मिल सकी। कारण कुछ भी हो सकते हैं, मगर देश में मनाए जा रहे आजादी के ‘अमृत महोत्सव पर उनको याद करना और शद्धाञ्जलि देना अनुचित न होगा। कश्मीरी पंडित-समुदाय के ख्यातनामा प्रोफेसर स्व० जगद्धर जाड़ू संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान और मनीषी थे। जापानी और रूसी विद्वानों के साथ काम करने वाले वे पहले कश्मीरी विद्वान थे।उन्हीं उद्भट कश्मीरी पंडित के यहाँ दीनानाथ जाड़ू और कांतिचंद्र जाड़ू का जन्म क्रमशः 1916 और 1918 में हुआ था। दीनानाथ जाड़ू आजाद हिन्द फौज (INA) में कैप्टन थे तथा मलेशिया में जाँबाज़ी से लड़े थे। 1986 में भारत में उनका निधन हो गया।दूसरे भाई कांतिचंद्र जाड़ू के बारे में माना जाता है कि वे नेताजी सुभाषचंद्र बोस के निजी सचिव थे। यह भी माना जाता है कि कांतिचंद्र जाड़ू उसी विमान में सवार थे, जो वर्ष 1945 में रहस्यमय तरीके से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसकी वजह से सुभाषचंद्र बोस और कांतिचंद्र जाड़ू दोनों की मृत्यु हो गई थी।
देखा जाए तो कश्मीर का जाड़ू परिवार अपने दृष्टिकोण और आचरण में हमेशा साहसी और राष्ट्रवादी रहा है।एक उदाहरण और है। अक्टूबर,१९४७ में कश्मीर पर हुए पाकिस्तान समर्थित कबाइलियों के आक्रमण के समय कृष्णा मिस्री (जाड़ू) ने ‘नेशनल मिलिशिया’ की महिला-विंग में एक स्वयंसेविका के रूप में अपने-आप को पंजीकृत कराया था।दरअसल, नेशनल कोन्फ़्रेंस की यह एक महिला-विंग थी। इस विंग को ‘महिला आत्मरक्षा वाहिनी’ (WSDC) के रूप में भी जाना जाता था। १९४७ में कश्मीर पर हुए पाकिस्तान समर्थित कबाइली हमले के दौरान इस विंग ने उल्लेखनीय काम किया जिस में कृष्णा मिस्री के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।कश्मीर पर हुए कबाइली हमले के समय कृष्णा मात्र 13 या 14 साल की एक किशोरी रही होगी।
जाड़ू परिवार के आत्मोत्सर्ग और स्वदेश-प्रेम का एक उदाहरण और भी है।और वह उदाहरण है स्व० पुष्करनाथ जाड़ू के देशप्रेम और बलिदान का। पुष्कर नाथ जाडू का जन्म 15 अप्रैल, 1928 को पं० वासुदेव जाडू और श्रीमती देवकी जाडू के यहाँ हुआ था। उनके पिता जम्मू-कश्मीर सरकार में इंजीनियर थे। पुष्करनाथ ने श्रीनगर के अमरसिंह कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी।विज्ञान उनका मुख्य विषय था। | |
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![]() पूर्व सदस्य,हिंदी सलाहकार समिति,विधि एवं न्याय मंत्रालय,भारत सरकार। पूर्व अध्येता,भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान,राष्ट्रपति निवास,शिमला तथा पूर्व वरिष्ठ अध्येता (हिंदी) संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार। | |
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