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| ॐ गं गणपतये नमः ॐ प्रणव शक्ति है, ब्रह्म शक्ति है पूर्णतः की चैतन्य मयी वाग्देवी 'गं' गन्तव्य है, सिद्धि प्राप्ति का जहां गण श्रेष्ठ रहते है, बिराजमान मणिपुर चक्र में विकसित। क्षण क्षण में अवतरित । "गणपतये" एकमात्र स्वर-- विसर्ग का संधान चतुर्थी के कारक में 'नमः' करे स्वीकार------- वास्तव में है सिद्धि प्राप्त करने की तिथि। गणेश मानस पुत्र हैं---, गौरी मैया की इच्छा शक्ति। अथर्वशीर्ष में है वो, पूर्ण सत्ता की व्युत्पत्ति वेदान्त की भाषा में है गणेश अद्वैत की वाणी उच्चतम आधार की अभिव्यक्ति अध्यात्म में है ब्रह्म ज्ञानी। दैवी सिद्धान्त में है पूर्ण विघ्नेश्वर की शक्ति। परिपूर्ण बारह नामों से पूजित अतुलनीय शक्ति से सुकेन्द्रित। श्री गणेश 'सुमुख 'भी ---- 'एकदन्त' भी 'कपिल --- गज कर्णक 'भी नाम उसी का ' लम्बोदर' भी गणपति का ही एक नाम ' विकट और विघ्नराज' प्रिय मूर्ति में है उसका सौन्दर्य पूर्ण परम धाम। 'गणाधिपति, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भी है उस दिव्य चिन्तन का आयाम। 'बालचन्द्र। गजानन' बस क्या है ? केवल बारह नाम है एक सौ आठ नाम---- सह्स्रनाम भी औरज्ञान की कहो गरिमा भी। नव चेतन की प्रतिमा सम्पूर्ण चित्-- स्वरूप का है यह मात्र अभिनन्दन।योग की ध्वनि में है 'ॐ ' पर अद्भुत वेद प्रवचन योग --चक्रों में इसे कहते है नाम मूलाधार। सह्स्रदल भी यही है, सुन्दर चित् और शीतल अपार सिद्ध पीठ गण तयार इसका परम धाम हारी--- पर्वत के प्रांगन में हुआ तुम्हारा आविर्भाव। |
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Ganesha is the best Murti to be mediotated upon.Jaya Ji has explained the 12 names of Shri Ganesha Ji.
Added By Vibhasa Raina